शिव की कृपा – धार्मिक हिंदी कहानी

आज की Dharmik Story in Hindi भगवान शिव जी के ऊपर है। क्या आपने कभी भी भगवान से कोई चीज़ मांगी है? छोटे चीकू ने किया और उसे क्या मिला, ये एक अनोखी कहानी है। चीकू रोज़ सुबह शाम भगवान शंकर की पूजा करता था। एक दिन उसकी दादी बहुत बीमार पड़ गई और घर वालों के पास इतने पैसे नहीं थे कि दादी का इलाज हो सके।

चीकू बहुत दुखी हुआ और रोते हुए शंकर जी से मदद मांगने लगा। क्या आप सोचते हो भगवान ने चीकू की पुकार सुनी? चलिए आज के इस हिंदी धर्मिक स्टोरी में इसका पता लगते हैं।

शिव की कृपा – Dharmik Story in Hindi

चाणक्यपुर गांव में सनातन नाम का एक व्यक्ति अपनी पत्नी सुमति अपने बुड्ढी मां और अपने दो बच्चों के साथ रहता था। उसके बच्चों में से एक उसकी बेटी स्मृति और उसका छोटा बेटा चीकू था। सनातन की पत्नी सुमति हर रोज घर में भगवान शंकर की पूजा करती थी और हर सोमवार को अपने बेटे चीकू के साथ वह भगवान शंकर के मंदिर में जाती थी।

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चीकू को भगवान शंकर जी बहुत ही लगाव हो गया था। वह हर रोज भगवान शंकर की मूर्ति के सामने बैठकर उनको अपनी हर बात बताता था। एक दिन चीकू भगवान शंकर की मूर्ति के पास जाकर उनसे बातें करने लगा। वह बोला कि भगवान आपको तो पता है कि कल हमारे स्कूल में एक मंत्री आने वाले हैं इसलिए हमारे मास्टर ने हमें अच्छे कपड़े पहनने को कहा है। वैसे तो भगवान आप भी तो कभी बचपन में स्कूल गए होंगे ना।

तभी स्मृति वहां पर आकर चीकू से कहती है अरे चीकू क्या बात कर रहे हो भगवान थोड़ी स्कूल जाते होंगे। चलो स्कूल के लिए तैयार हो जाओ हमें स्कूल भी जाना है। फिर दोनों बच्चे स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। और उनकी मां सुमति उनको खाने का टिफिन दे देती है। और वह सनातन के पास आकर कहती है सुनो जी कल बच्चों के स्कूल में मंत्री जी आने वाले हैं। और मास्टर ने उनको अच्छे कपड़े पहनने को भी बोला है लेकिन चीकू का एक जूता तो आगे से फट गया है। चीकू के लिए नए जूते लेने हैं तो आप ले लेंगे। फिर सनातन सुमति से कहता है अरे नहीं इस महीने की पगार तो खत्म हो चुकी है एक काम करता हूं मालिक से थोड़े पैसे उधार ले लेता हूं थोड़े-थोड़े करके उसे चुका दूंगा।

सनातन किराने की दुकान पर काम करता था जिसकी वजह से उसका घर चला था। उसने अपने मालिक से थोड़े पैसे उधार मांगे तो उसके मालिक ने उसे पैसे दे दिए और वह उन पैसों से चीकू के लिए नए जूते लेकर आया। जब शाम को चीकू ने नए जूते देखे तो वह बहुत ही खुश हो गया था। वह जूते लेकर भगवान शंकर की मूर्ति के सामने जाकर बोला देखो भगवान मेरे पापा मेरे लिए नए जूते लाएं हैं। फिर अगले दिन चीकू और स्मृति तैयार होकर स्कूल में चले जाते हैं। आज स्कूल में बहुत ही अच्छा अच्छा लग रहा था सभी बच्चे नए कपड़े पहनकर आए थे। और चीकू ने तो मंत्री जी से बात भी की थी जिसकी वजह से चीकू सारा दिन बहुत ही खुश लग रहा था।

फिर चीकू घर आकर स्कूल की सारी बातें अपनी दादी और अपनी मां को बताता है। और वह स्कूल की बातें बताने के लिए भगवान शंकर की मूर्ति की तरफ जाता है। तो उसकी बहन स्मृति उससे कहती है अरे चीकू तुम तो भगवान से हर रोज बातें करते हो लेकिन क्या कभी भगवान ने तुमसे बात की है। अरे मेरे भाई क्या कभी मूर्ति सुन सकती है। तभी चीकू अपनी बहन से कहता है नहीं नहीं दीदी मां कहती है कि भगवान हमारी सारी बातें सुन सकते हैं वे मेरी भी बातें भी जरूर सुनते होंगे।

फिर अगले दिन चीकू स्कूल जाने के लिए तैयार होता है तो वह भगवान शंकर की मूर्ति के पास जाकर उनसे कहता है कि अरे भगवान मेरी दीदी कहती है कि आप मेरी कोई भी बात नहीं सुनते हैं। भगवान मैं तो आपसे बात करना चाहता हूं लेकिन आप कभी भी मुझसे मिलने के लिए क्यों नहीं आते हैं। मुझे तो यह भी नहीं पता है कि आप कहां पर रहते हैं वर्ना में आपसे मिलने के लिए चले आता।

फिर चीकू स्कूल चला जाता है। चीकू स्कूल में तो चला जाता है लेकिन वह सारा दिन भगवान शंकर के बारे में ही सोचता रहता है। और मन ही मन में वह भगवान शंकर से नाराज़गी जताता रहता है। जब चीकू रात को सो रहा होता है तब भगवान शंकर चीकू के पास आते हैं और कहते हैं अरे चीकू उठो मैं तुमसे मिलने आया हूं। तभी चीकू उठ जाता है और भगवान शंकर चीकू से कहते हैं कि तुम मुझसे नाराज हो क्या आज तुम मेरे पास आए नहीं। और स्कूल में क्या हुआ यह भी तुमने मुझे नहीं बताया। तभी चीकू कहता है नहीं भगवान मैं आपसे नाराज नहीं हूं। आप यहां पर बैठिए मैं आपके लिए कुछ खाने को लाता हूं। चीकू जब रसोई में भगवान शंकर के लिए कुछ खाने को लाने के लिए जाता हैं तो उसे कुछ भी नहीं मिलता है तो वह एक गिलास दूध लेकर आता है। और भगवान शंकर से कहता है कि मुझे और कुछ तो नहीं मिला ये लीजिए दूध आप इसे पी लीजिए। फिर भगवान शंकर वह दूध पीकर और चीकू को आशीर्वाद देकर वहां से चले जाते हैं।

जब अगली सुबह चीकू की मां चीकू को उठाने के लिए आती है तो उसे वहां पर दूध की गिलास दिखाई देता है। तो वह चीकू से पूछती है की चीकू क्या तुम्हें रात को भूख लगी थी कि तुमने दूध पिया। तब चीकू कहता है नहीं मां ये दूध मैंने नहीं पिया मेरे पास रात को भगवान शंकर आए थे। मैंने उनको ये दूध पीने को दिया था। तभी चीकू की मां कहती है कि अरे चीकू क्या बात कर रहे हो भगवान शंकर तुमसे मिलने आए थे। तभी सुमति सोचती है कि चीकू ने कोई सपना देखा होगा। कुछ दिनों के बाद चीकू की दादी बहुत ही बीमार पड़ जाती है। और सनातन के पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वह चीकू की दादी को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाकर उनका इलाज करवा सके।

तभी सनातन सुमति के पास आकर कहता है की इतने तो मेरे पास पैसे नहीं है कि मैं मां का इलाज करवा सकूं। और मलिक ने भी पैसे देने से मना कर दिया है। तभी चीकू उन दोनों की बातें सुन रहा होता है और वह दौड़कर भगवान शंकर की मूर्ति के पास चला जाता है। फिर चीकू भगवान शंकर की मूर्ति के पास जाकर रोने लगता है कि भगवान मेरे पापा के पास इतने पैसे नहीं है कि वे मेरी दादी का इलाज करवा सके। भगवान आप ही हमारी कुछ मदद करें। जिससे हम हमारी दादी का इलाज करवा सके। तभी थोड़ी देर बाद चीकू के घर एक वेद आते हैं तब सनातन उनसे पूछता है कि आप कौन हैं। तब वेद जी उनसे कहते हैं कि मुझे चीकू ने अपनी दादी के बारे में बताया तो मैं उनका इलाज करने के लिए आया हूं।

फिर वेद जी चीकू की दादी का इलाज कर देता है और उनके लिए दवाइयां दे देता है। तभी चीकू की मां सुमति वेद के लिए चाय बनाने के लिए जाती है। जब वह चीनी का डिब्बा खोलती है तो वह देखी है कि चीनी के डिब्बे के अंदर बहुत सारे पैसे रखे होते हैं। तो वह बहुत ही आश्चर्यचकित हो जाती है। तभी सनातन रसोई के अंदर आता है तो निर्मल उनको पैसे दिखाती है। तो सनातन उन पैसों में से कुछ पैसे ले जाकर वेद जी को देता है तो वेद जी पैसे लेने के लिए मना कर देते हैं और वहां से चले जाते हैं। तभी वे लोग चीकू से पूछते हैं तो चीकू उन्हें कहता है कि मैंने दादी के बारे में भगवान शंकर को बताया तो उन्होंने ही पैसे दिया होंगे।

फिर निर्मल और सनातन, भगवान शंकर के मंदिर में जाते हैं और उनसे कहते हैं कि है भगवान इतने पैसे तो हमने हमारे जीवन में नहीं देखे। आप ही हमें कुछ बताइए तभी भगवान शंकर प्रकट होते और कहते हैं कि सनातन मैं तुम्हारे बेटे चीकू के भोलेपन से बहुत ही प्रसन्न हूं इसलिए मैंने ही तुम लोगों को पैसे दिए हैं। और उस चीनी के डिब्बे में से तुम जितने चाहे पैसे निकाल सकते हो‌ उसमें कभी भी पैसे खत्म नहीं होंगे और उन पैसों से तुम्हें अच्छे काम करने होंगे। अगर तूमने अच्छे काम नहीं किए तो तुम वापस गरीब हो जाओगे। सनातन और सुमति उन पैसों से बहुत ही अच्छे काम करते हैं। और दान पुण्य करते हैं जिनसे उनकी जिंदगी बहुत ही अच्छी तरह से गुजरती है।

सारांश

छोटे चीकू की इस धार्मिक हिंदी स्टोरी से हम सीख सकते हैं कि हमेशा सच्चे मन से किसी देवी देवता या भगवान से प्रार्थना करें तो वो सुनेंगे जरूर। जब भी कोई मुसिबत आए या परेशान हो तो, इन्होने हमेशा हमारी रक्षा की है।

इसलिए हमें उनका पूरा विश्वास रखना चाहिए। क्या आप मानते हैं कि अगर आप किसी चीज़ के लिए दिल से प्रार्थना करेंगे तो आपको वो ज़रूर मिलेगी? एक बार कोशिश करके देखिये!

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