करवा चौथ की कहानी – Karwa Chauth Story in Hindi

चलिए करवा चौथ की कहानी (Karwa Chauth Story in Hindi) पढ़ते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि प्रेम और विश्वास कितना महान हो सकता है?

आज के युग में जहां संबंधों को तोड़ना आसान हो गया है, वहां पर करवा चौथ जैसे त्योहार हमें प्रेम और विश्वास का महत्व सिखाते हैं।

आइए आज हम कहानी करवा चौथ की पढ़ें जो पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास की गहराई को दर्शाती है।

इस करवा चौथ की धार्मिक कहानी में हम देखेंगे कि कैसे एक पत्नी ने अपने पति की मृत्यु के बाद भी उसके प्रति अपना प्रेम और विश्वास बनाए रखा। उसके प्रयास और करवा चौथ के पवित्र व्रत की वजह से उसका पति पुनर्जीवित हो गया।

चलिए पढ़ते हैं करवा चौथ की कहानी सात भाई एक बहन की जो हमें बताती है कि सच्चा प्यार और विश्वास कभी हार नहीं मानता।

त्योहारकरवा चौथ
क्षेत्रउत्तर भारत
प्रतिभागीविवाहित महिलाएं
उद्देश्यपतियों की दीर्घायु और कल्याण
कहानी के मुख्य पात्रसाहूकार, उसकी पत्नी, 7 बेटे, 1 बेटी कमला
कहानी का सारपति की लंबी उम्र के लिए पत्नी का दृढ़ समर्पण और व्रत
चुनौतियांपत्नी के विश्वास और प्रेम द्वारा पार की गई कठिनाइयां
प्रतीकात्मकताविवाह में गहरा बंधन और त्यागपूर्ण प्रेम
कहानी सुनाने का समयकरवा चौथ की पूजा के दौरान

करवा चौथ की कहानी – Karwa Chauth Story in Hindi

एक समय की बात है एक साहूकार अपने 7 बेटों और कमला नाम की अपनी बेटी के साथ चंदनपुर गांव में रहता था।

Karwa Chauth Ki Kahani

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी और उसकी बहू और उसकी बेटी कमला ने करवा चौथ का व्रत रखा था।

जब साहूकार के बेटे खाना खाने के लिए बैठे तो उन्होंने अपनी बहन को भी खाना खाने को कहा लेकिन उसकी बहन ने कहा “नहीं भाई अभी चांद नहीं निकला है मैं चांद निकलने के बाद ही खाना खाऊंगी।”

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। वे अपनी बहन को भूखा नहीं देख पा रहे थे।

तभी उन्होंने अपने गांव के पास वाले पहाड़ पर एक दीपक जलाकर रख दिया। और अपनी बहन से बोले “देखो बहन चांद निकल आया है अब तुम खाना खा लो।”

फिर साहूकार की बेटी अपनी भाभीयों से कहने लगी “चलो भाभी चांद निकल आया है। चांद को देखकर खाना खा लेते हैं।”

फिर उसकी भाभी उससे कहने लगी “नहीं अभी तो आपका चांद निकला है हमारा चांद निकलने बाकी है आप खाना खा लो।”

फिर साहूकार की बेटी चांद को देखकर खाना खाने के लिए बैठ गई। उसने जैसे ही पहले निवाला खाया तो उसे छींक आ गई। दूसरा निवाला खाते ही उसके अंदर से बाल निकल आया। और जैसे ही तीसरा निवाला खाने लगी इतने में उसके ससुराल से उसे बुलावा आ गया कि उसका पति बीमार है चलो ससुराल चलो।

जब साहूकार की पत्नी ने अपनी बेटी कमला को ससुराल विदा करने के लिए बक्से से कपड़े निकालने लगी तो कपड़े काले और सफेद निकल रहे थे।

तो कमला बोली “मां तुम रहने दो” फिर उसकी मां उससे कहती है “बेटी रास्ते में जाते समय तुम्हें कोई भी बड़ा या छोटा मिले तो तुम उसके पैर छूते जाना।”

जब कमला ससुराल जा रही थी तब उसे जो भी रास्ते में मिला तो वह उसके पैर छू रही थी। और वे सभी उसे आशीर्वाद दे रहे थे कि “सदा खुश रहो।”

फिर ऐसे ही वह अपने ससुराल पहुंच गई। जब कमला ससुराल पहुंची तो उसकी छोटी ननद आंगन में खेल रही थी।

फिर कमला ने अपनी ननद के पांव छुए तो उसने आशीर्वाद दिया कि “सदा सौभाग्यवती रहो पुत्रवती रहो।”

फिर कमला घर के अंदर गई तो उसने देखा कि उसके पति का देहांत हो चुका था। और उसे ले जाने की तैयारी हो रही थी।

जब कमला के पति को ले जा रहे थे तब कमला बोली “मैं इन्हें नहीं ले जाने दूंगी।” जब कोई नहीं माना तो बोली “मैं साथ में चलूंगी” तो सभी बोले “ठीक है चलो।”

फिर सभी लोग कमला के पति का अंतिम संस्कार करने के लिए शमशान चले गए। जब अंतिम संस्कार का समय हुआ तब कमला बोली “मैं मेरे पति को नहीं जलाने दूंगी।”

फिर सभी लोग बोले “पहले तो अपने पति को खा गई और अब उसका अंतिम संस्कार करने नहीं दे रही है।”

फिर कमला वहां पर अपने पति के साथ बैठ गई। फिर सभी लोगों ने निर्णय लिया कि कमला को यहीं पर रहने देते हैं और एक झोपड़ी बनवा देते हैं।

फिर कमला अपने पति को लेकर उसी झोपड़ी के अंदर रहने लगी। फिर दिन में दो बार उसकी छोटी ननद कमला को खाना देने के लिए आ जाती थी।

कमला हर करवा चौथ का व्रत रखती थी। और चांद को देखती थी और खाना खाती थी। और जब चौथ माता आती तो कहती “करवों ले करवों ले भाइयों की प्यारी करवों ले घणी बुखारी करवों ले”

फिर कमला चौथ माता से अपने पति के प्राण मांगती थी।

फिर चौथ माता कमला से कहती थी “मुझसे भी बड़ी चौथ माता आएगी तो उससे अपने पति के प्राण मांगना।”

एक-एक करके सभी चौथ माता आई थी और यही बात कमला को कहकर चली गई। अश्विन की चौथ माता कमला से बोली “तुझसे कार्तिक की बड़ी चौथ माता नाराज है वह तेरा सुहाग लौटाएंगी। जब वे आएगी तो उनके पैर मत छोड़ना सोलह सिंगार का सामान तैयार कर लेना।”

जब कार्तिक की बड़ी कार्तिक करवा चौथ आई तो कमला ने अपनी छोटी ननद से सोलह सिंगार का सामान मंगवाया और करवे भी मंगवाए।

जब कमला की सास को पता चला तो वह बोली “कमला तो पागल हो गई है जो वह मांगती है उसे वह सब लाकर दे दो।”

फिर कमला ने करवा चौथ का व्रत रखा चांद को देखा और ज्योति जलाई।

जब चौथ माता प्रकट हुई तो बोली “करवों ले करवों ले भाइयों की प्यारी करवों ले दिन में चांद उगने वाली करवो ले घणी बुखारी करवो ले।”

फिर कमला ने माता के पैर पकड़ लिए और बोली “माता मेरा सुहाग वापस दे दो।”

फिर चौथ माता कमला से बोली “तू तो बहुत ही भूखी है तू तो 7 भाइयों की बहुत ही प्यारी बहन है तेरे लिए सुहाग का क्या काम।”

फिर कमला चौथ माता से बोली “नहीं माता मैं आपके पैर जब तक नहीं छोडूंगी जब तक आप मेरा सुहाग वापस नहीं दे देती।”

फिर कमला ने एक-एक करके सारा सुहाग का सामान चौथ माता को दे दिया।

फिर चौथ माता ने अपनी आंखों से काजल निकला, अपने हाथों से मेहंदी और अपनी मांग से सिंदूर निकाला। और उसे करवे में गोल कर कमला के पति के ऊपर छिड़क दिया। जिससे उसका पति फिर से जीवित हो गया।

फिर चौथ माता वहां से जाते समय कमला की झोपड़ी पर लात मारकर चली गई। जिससे उसकी झोपड़ी महल बन गई। और कमला का पति भी जीवित हो गया।

जब कमला की छोटी ननद खाना लेकर आई तो उसने देखा कि झोपड़ी की जगह एक महल बन गया था। जब कमला ने अपनी छोटी ननद को देखा तो वह उससे बोली “देखो ननद आपका भाई जीवित हो गया है। जाओ घर जाओ सासू मां को कहो हमें धूमधाम से लेने के लिए आए।”

फिर कमला की छोटी ननद अपनी मां के पास गई और बोली “मां भाई फिर से जिंदा हो गए हैं” तो उसकी मां बोली “तुम्हारी भाभी की तरह तुम्हारा भी दिमाग खराब हो गया है।”

फिर वह बोली “नहीं मां मैंने देखा है सच में भाई जिंदा हो गया है।” फिर सभी घर वाले धूमधाम से कमला के पास उसे लाने के लिए चले गए।

कमला की सास अपने बेटे को जिंदा देखकर कमला के पैर छूने लगी। फिर कमला भी अपनी सास के पैर छूने लगी और बोली “देखो मां आपका बेटा फिर से वापस आ गया है।”

फिर उसके सास बोली “बहू मैंने तो इसे 1 साल पहले भेज दिया था। ये तो तेरे भाग्य से वापस आया है।”

फिर सभी लोग एक साथ में मिलजुल कर खुशी से रहने लगे।

करवा चौथ की असली कहानी क्या है?

करवा चौथ की असली कहानी करवा नामक पतिव्रता स्त्री की है, जिसने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज से सामना किया था

करवा चौथ की कथा कैसे पढ़े?

करवा चौथ की कथा पढ़ने के लिए, व्रत के दिन पूजा के समय विधि-विधान से कथा सुननी चाहिए, जिससे व्रत का पूर्ण फल मिलता है।

करवा चौथ का भगवान कौन है?

करवा चौथ के दिन महिलाएं भगवान गणेश, माता पार्वती, करवा माता, और चंद्रमा की पूजा करती हैं।

करवा चौथ के दिन रात में पति पत्नी क्या करते हैं?

करवा चौथ की रात में, पत्नी चांद का दर्शन करके और पूजा करके व्रत खोलती हैं, इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाता है और फिर कुछ खिलाकर उनका व्रत तोड़ता है, और फिर दोनों एक साथ मिलकर परिवार के साथ भोजन करते हैं।

सारांश

उम्मीद है के आपको करवा चौथ की कहानी पसंद आई होगी। Karwa Chauth Story in Hindi हमें बताती है कि प्रेम और विश्वास में कितनी ताकत होती है। कमला ने अपने पति के प्रति अपना प्रेम और विश्वास बनाए रखा और चौथ माता की कृपा से अपने पति को वापस पा लिया।

आज के युग में जब संबंध टूटने में कुछ ही समय लगता है, यह कहानी हमें याद दिलाती है कि सच्चे प्रेम और विश्वास के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं सकती। हमें अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखना चाहिए और कठिनाइयों के दौरान भी एक-दूसरे पर भरोसा रखना चाहिए। यही प्रेम और विश्वास की सच्ची परीक्षा होती है।

आशा है कि यह कहानी हम सभी को प्रेरित करेगी और हमें अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रेरित करेगी।

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