अवसान माता की कहानी – अवसान देवी कौन है?

यहाँ हम अवसान माता की कहानी जानने वाले हैं। क्या आपने कभी सुना है कि देवी माताओं में से एक माता रात्रि में घूमती फिरती है? अवसान माता ऐसी ही एक अलौकिक माता हैं जो रात्रि में सक्रिय रहकर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

अवसान माता के बारे में कई रहस्यमय किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। कुछ लोग मानते हैं कि वे महाकाली का ही एक स्वरूप हैं, तो कुछ का मानना है कि वे दुर्गा माता की बहनें हैं। चाहे जो भी सत्य हो, अवसान माता अपने भक्तों पर गहरी कृपा करती हैं।

आइए जानें कि अवसान माता ने अपने एक बुज़ुर्ग भक्त के जीवन में कैसा करिश्मा किया और उनके जीवन को किस तरह प्रभावित किया। आशा करती हूं कि यह अवसान माता की कथा पाठकों को आकर्षित करेगा।

शीर्षकअवसान माता की कहानी
मूलधार्मिक आस्था और भ्रांतियाँ
पहली बार सूचितअज्ञात
स्थानचंदनपुर गांव, भारत
मुख्य पात्रबूढ़ी अम्मा, अम्मा की बहू, पड़ोसन, और अन्य गांव की महिलाएं

अवसान माता की दुरदुरिया की कहानी

एक गांव में एक बूढ़ी अम्मा रहती थी। वह बूढ़ी अम्मा अवसान माता की पूजा करना चाहती थी। लेकिन उन्हें पूजा के बारे में कुछ भी नहीं पता था। लेकिन जब उनके मोहल्ले में औरतें इकट्ठा होती थी और बातें करती थी। और कहती थी कि जब मेरी बेटे की शादी होगी तो मैं अवसान माता की पूजा करूंगी। कोई औरत कहती थी जब हम नया घर बनाएंगे तो मैं अवसान माता की पूजा करूंगी।

Avsan Mata Ki Kahani
अवसान माता की फोटो

इस तरह कई औरतें हर बार अवसान माता की पूजा करती थी। तभी बूढ़ी अम्मा उनकी बातें सुनती और कहती थी कभी मुझे भी मौका मिलेगा तो मैं भी अवसान माता की पूजा करूंगी।

एक दिन बूढ़ी अम्मा की पड़ोसन जो बहुत ही अमीर थी उसने अवसान माता की पूजा रखी थी। उस पूजा में बूढ़ी अम्मा को भी बुलाया था।

उस बूढ़ी अम्मा का एक बीटा और बहू थी। जब बूढ़ी अम्मा अवसान माता की पूजा में जाने के लिए तैयार हो रही थी, तब उस पड़ोसन ने बूढ़ी अम्मा से कहा की पूजा हम गंगा किनारे करेंगे। वहीं पर हम सब चलेंगे और अवसान माता की पूजा करेंगे।

फिर बूढ़ी अम्मा ने कहा ठीक है और पूजा में जाने के लिए तैयार होने लगी। जब बूढ़ी अम्मा पूजा में जाने के लिए तैयार हो रही थी तब उनकी बहू ने उनसे कहा, “मां जी आप सुबह-सुबह पूजा में जा रही हो जब आप वहां पूजा करेंगी तो वापस आते बहुत देर हो जाएगी। इसलिए मैं आपको रोटी और सब्जी बनाकर दे दूंगी। जब पूजा खत्म होगी तब आप खाना खा लेना।

बूढ़ी अम्मा रोटी सब्जी लेकर अवसान माता की पूजा करने के लिए गंगा किनारे चली गई। जब सभी औरतें गंगा किनारे गई तो उन सभी औरतों ने गंगा में स्नान किया और फिर अपना मुंह ढक लिया। मुंह ढक कर अवसान माता का ध्यान करने लगी। अवसान माता की आरती देने लगी और पूजा का आह्वान करने लगीं।

लेकिन बूढ़ी अम्मा को यह समझ नहीं आ रहा था कि ये सभी औरतें क्या कर रही हैं। फिर जिस औरत ने पूजा रखी थी उससे बूढ़ी अम्मा ने पूछा कि, “तुम लोग मुंह ढक कर क्या कर रहे हो।” उस औरत ने बूढ़ी अम्मा से कहा कि, “हम लोग खाना खा रहे हैं।” फिर बूढ़ी अम्मा ने कहा कि, “अरे यह कैसी पूजा है। स्नान किया और खाना खा लिया। खाना खाने के बाद अवसान माता की पूजा कर रही हैं।

बूढ़ी अम्मा ने सोचा चलो ठीक है ये औरतें जैसा कर रही है वैसा मैं भी करती हूं। फिर उनकी बहू ने जो रोटी सब्जी दी थी वह बूढ़ी अम्मा खाने लगी।

फिर बूढ़ी अम्मा ने सोचा चलो पहले रोटी खा लेती हूं सब्जी बाद में खा लूंगी। बूढ़ी अम्मा जैसे ही रोटी खाने लगी तो रोटी कटी ही नहीं। फिर बूढ़ी अम्मा ने सोचा चलो बाद में खा लूंगी। अगर इन सभी औरतों के सामने खाऊंगी तो मेरी और मेरी बहू की बेचती होगी।

सभी औरतें पूजा करने के लिए बैठ गई, तो बूढ़ी अम्मा भी पूजा करने के लिए बैठ गई। पूजा करते समय बूढी अम्मा को पता चला की अवसान माता की पूजा में तो कुछ भी खाया या पिया नहीं जाता है।

फिर जैसे ही पूजा खत्म हुई तो बूढ़ी अम्मा ने उस औरत से कहा, जिसने पूजा रखी थी कि, “अरे बेटी इस पूजा में तो कुछ खाया या पिया नहीं जाता है। लेकिन तुम सभी ने पूजा करने से पहले ही खाना खा लिया।

फिर दूसरी सभी औरतें बोली, “आपको किसने कहा कि हमने खाना खा लिया है। हमने तो खाना खाया नहीं है।” फिर बूढ़ी अम्मा ने कहा कि, “जिनके यहां पूजा है मैंने तो उनसे पूछा था। तब इन्होंने कहा कि हम सब मुंह ढक कर खाना खा रहे है।

फिर सभी औरतें बूढ़ी अम्मा पर हंसने लगी और कहने लगी क्या बोल रही हो बूढ़ी अम्मा क्या कभी पूजा करने से पहले खाना खाया जाता है। फिर बूढ़ी अम्मा चुप हो गई और मन ही मन में बोलने लगी कि देखो मैं तो पहली बार पूजा में आई थी। मुझे अवसान माता की पूजा विधि के बारे में कोई ज्ञान नहीं।

मुझसे झूठ बोल दिया कि हम सभी औरतें खाना खा रही हैं। ये तो मेरी बहू ने रोटी ऐसी बनाई थी कि मेरे दांतों से कटी ही नहीं। चलो मैं भी भूखी थी मैंने भी खाना नहीं खाया हे। अवसान माता मुझे माफ करना, मुझे पता नहीं था।

फिर बूढ़ी अम्मा अवसान माता से माफी मांगने लगी। फिर एक औरत ने कहा अरे बहन दुखी मत हो चलो हम सब खड़े होकर माता रानी का आह्वान करते थे। फिर बूढ़ी अम्मा ने कहा ठीक है और फिर सभी औरतें अपने-अपने घर चली गई।

घर जाकर भी बूढ़ी अम्मा बहुत ही परेशान थी। और मन ही मन में सोचने लगी मुझे बताया ही नहीं कि अवसान माता की पूजा से पहले खाना खाया ही नहीं जाता है। चलो ये तो मेरी बहू ने रोटी ही ऐसी बनाई थी कि मुझसे खाई ही नहीं गई। अगर रोटी अच्छी बनाई होती तो मतों खाना खा लेती। फिर बूढ़ी अम्मा सो गई और थोड़ी देर बाद उनकी बहू आई तो उन्होंने देखा की अम्मा आई है। और किसी से बात भी नहीं की और चुपचाप सो गई।

बूढ़ी अम्मा की बहू बूढ़ी अम्मा से बोली, “अरे अम्मा मुझे नहीं दोगी अवसान माता का प्रसाद। मुझे भी चाहिए अवसान माता का प्रसाद।” फिर बूढ़ी अम्मा ने कहा, “खूंटी पर टंगा ले लो प्रसाद। ” फिर प्रसाद लेने के लिए वह झोला बहू ने उतारा तो उसने देखा की बूढ़ी अम्मा ने तो रोटी खाई नहीं थी। और वह रोटी तो सोने की हो गई थी।

बहू ने अम्मा से पूछा, “अरे अम्मा आपने तो खाना खाया नहीं।” फिर बूढ़ी अम्मा ने कहा, “अरे कैसे खाना खाती जो तुमने रोटी दी थी वह बहुत ही मजबूत थी मुझसे खाई ही नहीं गई।” फिर बहू ने कहा, “अम्मा आपने खाना खाया नहीं यह तो मुझे नहीं पता लेकिन जो मैंने आपको रोटी खाने को दी थी यह तो सोने की हो गई है। ऐसी कौन सी पूजा थी कि जिससे रोटी सोने की हो गई।

अम्मा ने आकर देखा तो कहा, “अरे हां सच में रोटी तो सोने की हो गई है। जब मैं रोटी को खा रही थी तब मुझसे यह रोटी कटी ही नहीं। फिर मैंने रोटी को वापस झोले में रख दी। मैंने सोचा कि कोई देख लेगा तो तुम्हारी और मेरी बेइज्जती होगी। इसलिए मैंने रोटी खाई ही नहीं।

बूढ़ी अम्मा ने सारी बात अपनी बहू को बताई कि उनके साथ वहां पर क्या हुआ था।

बहू ने कहा, “चलो कोई बात नहीं अवसान माता आपसे प्रसन्न हो गई होगी। इसलिए उन्होंने आपकी रोटी और सब्जी को सोने की बना दि होगा।” फिर बूढ़ी अम्मा भी बहुत खुश हो गई और उन्होंने वह रोटी और उस सोने की सब्जी को सुनार के पास जाकर बेच दिया।

अब बूढ़ी अम्मा के पास भी बहुत सारा धन हो गया था। फिर बूढ़ी अम्मा ने अपनी पड़ोसन से कहा कि, “बहन मुझे भी बता दो कि अवसान माता की पूजा कैसे की जाती है।” इधर अवसान माता उसे बूढ़ी अम्मा की पड़ोसन से बहुत ही गुस्सा हो गई थी। क्योंकि बूढ़ी अम्मा कई दिनों से अवसान माता की पूजा करना चाहती थी। और इस घमंडी औरत ने बूढ़ी अम्मा का व्रत खराब कर दिया। अवसान माता ने गुस्से में आकर उस घमंडी औरत के यहां पर बहुत ही गरीबी कर दी थी। अब उनके यहां पर पहले जैसा धन नहीं बचा था।

जब बूढ़ी अम्मा अपनी पड़ोसन से अवसान माता की पूजा की विधि पूछ गई तो बूढ़ी अम्मा से उसकी पड़ोसन ने कहा, “अरे मैं कई दिनों से देख रही हूं आपके पास तो बहुत सारा धन आ गया है। यह कैसे हुआ।” बूढ़ी अम्मा ने कहा, “अवसान माता की कृपा है।

फिर बूढ़ी अम्मा ने सारी बात अपनी पड़ोसन को बताई। फिर कहा कि, “सब अवसान माता की वजह से ही हुआ है। इसलिए मैं अवसान माता की पूजा करना चाहती हूं।” बूढ़ी अम्मा की पड़ोसन ने बूढ़ी अम्मा को पूजा की सारी विधि बताई। उस पूजा में बूढी अम्मा की पड़ोसन भी आई और अवसान माता से माफी मांगी। कहा की, “अवसान माता मुझसे भूल हो गई है कृपया मुझे माफ कर दीजिए।” अवसान माता तो दयालु है। इसलिए अवसान माता ने उस महिला को माफ कर दिया। और उसके बाद उस महिला के घर में फिर से धन आ गया और वह अमीर बन गई।

यह थी अवसान माता की कहानी PDF की सम्पूर्ण जानकारी। यहाँ से आप करवा चौथ की कहानी पद सकते है।

अवसान माता कौन है?

अवसान माता एक हिंदू देवी हैं जिन्हें सूर्य की माता माना जाता है।

अवसान देवी कौन है?

अवसान देवी और अवसान माता एक ही देवी हैं।

सारांश

अवसान माता की दुरदुरिया की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान की कृपा सब पर बरसती है। चाहे हम कितने भी असहाय, अकेले या उम्रदराज़ क्यों न हों, भगवान हमेशा हमारी रक्षा करते हैं और हमारी मदद को दौड़ते हैं।

बूढ़ी अम्मा जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना कर रही थीं, पर अवसान माता ने अपनी कृपा से उनके जीवन को ही बदल दिया। ऐसा लगता है जैसे अवसान माता सबकी माँ हैं, वे सभी की पीड़ा समझती हैं और सहायता करती हैं।

अवसान माता की कहानी Lyrics में प्रश्न यह उठता है कि क्या आप भी अपने जीवन में इस कहानी जैसे किसी देवी-देवता की कृपा और सहायता महसूस कर चुके हैं? आपके पास क्या कोई ऐसा उदाहरण है जब भगवान ने आपकी बहुत मदद की हो?

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