भूखी चिड़िया की कहानी: एक छोटे से गांव में एक परिवार रहता था। इस परिवार में माता-पिता और उनकी दो बेटियां थीं – राधा और सीता। राधा सात साल की थी और सीता नौ साल की। वे दोनों बहनें एक-दूसरे से बहुत प्यार करती थीं और हमेशा साथ खेलती रहती थीं।
राधा: अरे सीता, आज हम बाहर क्या खेलेंगे?
सीता: चल ना राधा, आज जंगल में चलते हैं। वहां बहुत मजा आएगा।
राधा: हां बहुत अच्छा रहेगा। चल चलते हैं।
(राधा और सीता जंगल में जाती हैं और वहां खेलने लगती हैं)
सीता: राधा देख! वहां एक चिड़िया है जमीन पर कुछ खा रही है।
राधा: हां मैं भी देख रही हूं। पर देख उसके पंख कितने अजीब से मुड़े हुए हैं। शायद वह उड़ नहीं पा रही।
सीता: और देख कितनी कमजोर लग रही है बेचारी। बहुत भूखी भी दिख रही है।
राधा: हां सीता, मुझे भी उस पर बहुत तरस आ रहा है। चल हम उसे अपने घर ले चलते हैं।
सीता: हां ठीक है। तू धीरे से चिड़िया के पास जा और मैं झोली लाती हूं।
(राधा चिड़िया के पास जाती है और सीता झोली लाती है। वे चिड़िया को झोली में रख लेती हैं)
राधा: चल अब घर चलते हैं। वहां हम इसकी देखभाल करेंगे।
घर पर दोनों बहनें पहुँच जाने के बाद वो माँ को चिड़िया के बारे में बोलने लगी।
राधा: मम्मी देखो हमने जंगल से एक चिड़िया लाई है। बेचारी बहुत भूखी और कमजोर है।
मम्मी: अच्छा बेटियों, ठीक किया तुमने। लो इसके लिए पानी और दाने। हम मिलकर इसकी देखभाल करेंगे।
ऐसे समय बिताता गया और कुछ दिनों बाद की बात है।
सीता: राधा देख चिड़िया कितनी तंदुरुस्त और खुश लग रही है।
राधा: हां बिलकुल। अब तो यह हमारे साथ खेलने भी लगी है। मजा आता है ना उसके साथ खेलते हुए?
सीता: बहुत मजा आता है। चल आज फिर से बाहर ले चलते हैं इसे।
राधा: सीता देख वहां एक बहुत बड़ा कुत्ता आ रहा है। और वह चिड़िया को देख रहा है।
सीता: हां मैं भी देख रही हूं। शायद वह चिड़िया को नोचना चाहता है। चल हम उसे भगा देते हैं।
राधा-सीता कुत्ते को भगाने की कोशिश करती हैं लेकिन वह नहीं भागता है, बल्कि गुर्राने लगता है।
राधा: ओह नहीं! देख वह कुत्ता चिड़िया पर झपटा और उसे अपने मुंह में दबोच लिया।
सीता: नहीं! हमारी चिड़िया! बेचारी! हम क्या करें राधा?
कुछ भी न कर पाने की वजह से राधा-सीता साथ में रोने लगती हैं।
बूढ़ा आदमी: क्या हुआ बच्चियों? तुम क्यों रो रही हो?
राधा: दादाजी, वह कुत्ता हमारी चिड़िया को नोच रहा है। हमारी चिड़िया को उस कुत्ते के चंगुल से बचाइए।
बूढ़ा आदमी: अरे चिंता मत करो। (कुत्ते को डांटता है) आरे कुत्ते! चिड़िया को छोड़ दे।
इस प्रकार के ज़ोर से बोलने पर, कुत्ता डरकर भाग जाता है और चिड़िया छूट जाती है।
बूढ़ा आदमी: देखो बच्चियों, तुम्हारी चिड़िया बच गई। अब रोना बंद कर दो।
सीता: धन्यवाद दादाजी। आपने हमारी चिड़िया को बचा लिया, वरना इसे अपने जान से हाथ धोना पड़ जाता।
राधा: हम आपके बहुत आभारी हैं।
बूढ़ा आदमी: इसमें कोई बात नहीं बच्चियों। हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए, चाहे वो जानवर हो या इंसान।
राधा: जी हां दादाजी। आज हमें एक बहुत बड़ा सबक मिला है।
घर पहुंचकर दोनों ही बहनें चिड़िया की काफ़ी देखभाल करती हैं और कुछ दिनों बाद उसे आज़ाद कर देती हैं।
सीता: उन बूढ़े दादाजी ने हमें सिखाया कि हमें हमेशा दयालु और मददगार होना चाहिए।
राधा: बिलकुल सीता। आज से हम सभी ज़रूरतमंद लोगों की मदद करेंगे, फिर चाहे वो कोई इंसान हो या जानवर। हम सभी की अपने दिल से मदद किया करेंगे।